तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

ग़ज़ल -- दर्द गहरा था

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दर्द गहरा  था मगर  हद  से  गुज़रने  न  दिया ।
अश्क़ हमने भी कभी आंख  में आने  न दिया ।।

आसमा   में  वो  परिंदे  ही  सफ़र  करते  हैं ।
जिन परिंदों ने कभी पर को कतरने न दिया ।।

आज खामोश हैं घुघरू जो खनकते थे कभी ।
वक्त  बेचैन  से  पावों  को  थिरकने  न दिया ।।

ख्वाहिशें  खूब  जवाँ  थी   किसी  मैखाने  में ।
मेरे   मौला  ने   मुझे  रात  बहकने  न   दिया ।।

मैंने  तूफान   में   चेहरे   पे   सिकन  देखा  है ।
उन  हवाओं  ने  कभी  जुल्फ सँवरने न दिया ।।

उंगलिया  लोग  उठाते  हैं  उसी  पर  अक्सर ।
जिंदगी भर जो कदम घर से बहकने न दिया ।।

यह  हक़ीक़त   है  खरीदार  बहुत  थे   उनके ।
यूँ  तिज़ारत में  कभी भाव को गिरने न दिया ।।

जीत  सकते  थे  मुहब्बत की ये बाजी शायद ।
एक  सिक्का  भी मेरे नाम  उछलने न  दिया ।।

क़द्र क्या है ये हिफ़ाज़त के उसूलों से मिला ।
मेरे  साकी  ने  कहीं जाम छलकने न  दिया ।।

            ----नवीन मणि त्रिपाठी 
             मौलिक अप्रकाशित 
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